नमस्ते, मेरा नाम नेहा कुलकर्णी है। मैं कार्यस्थल के सिस्टम और ऑर्गनाइजेशनल बिहेवियर पर गहरी नज़र रखती हूँ। मुझे विभिन्न दफ्तरों में लोगों के बीच होने वाली बातचीत, ऑफिस की पॉलिसीज़ और कलीग्स के बीच के रिश्तों को समझना बहुत पसंद है। अपने लेखों में मैं असली उदाहरणों और आसान भाषा का इस्तेमाल करती हूँ, जिससे हर कर्मचारी अपने काम के माहौल को अच्छे से समझ सके और आगे बढ़ सके। चाहे आप नए हों या अनुभवी, मेरी बातें आपको ऑफिस लाइफ को सही तरीके से देखने में मदद करेंगी।
1. परिचय: भारत में रिमोट वर्क की बदलती संस्कृतिभारत में हाल के वर्षों में कार्यस्थलों पर रिमोट वर्क का चलन तेजी से बढ़ा है। कोविड-19 महामारी के बाद यह बदलाव…
1. भारतीय कार्यस्थल पर वर्तमान छुट्टियों और ब्रेक्स की प्रथाभारतीय कार्यस्थल में छुट्टियाँ और ब्रेक्स की व्यवस्था ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और कानूनी कारकों के मेल से विकसित हुई है। अधिकांश कंपनियाँ…
1. भारत में भावनात्मक बुद्धिमत्ता की अवधारणाभारतीय समाज और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि में भावनात्मक बुद्धिमत्ताभारत में भावनात्मक बुद्धिमत्ता (Emotional Intelligence - EI) की अवधारणा कोई नई नहीं है, बल्कि इसकी जड़ें…
1. सरकारी और प्राइवेट जॉब्स का मौलिक अंतरभारत में करियर की दिशा चुनते समय सबसे बड़ा सवाल होता है – सरकारी नौकरी चुने या निजी क्षेत्र की? दोनों क्षेत्रों में…
वर्क फ्रॉम होम: एक नई जीवनशैली का आरंभCOVID-19 महामारी ने भारतीय समाज में कार्य संस्कृति को अभूतपूर्व रूप से बदल दिया। जहां पहले तक अधिकांश लोग अपने कार्यालयों में जाकर…
भारतीय समाज में महिलाओं की नेतृत्व भूमिका का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्यभारतीय समाज और संस्कृति में महिलाओं की नेतृत्व भूमिकाओं का इतिहास अत्यंत समृद्ध और विविधतापूर्ण रहा है। प्राचीन काल में, भारतीय…
भारतीय कार्यस्थल पर मानसिक स्वास्थ्य की आवश्यकता और सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्यभारतीय समाज में मानसिक स्वास्थ्य के प्रति दृष्टिकोणभारत में मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता धीरे-धीरे बढ़ रही है, लेकिन अभी भी…
1. भारतीय कार्यस्थलों में बर्नआउट की पहचान और प्रमुख कारणभारतीय संगठनों में बर्नआउट के सामान्य लक्षणभारतीय कार्यस्थलों पर बर्नआउट एक आम समस्या बन गई है, जिसे समय रहते समझना बहुत…
1. परंपरागत मूल्यों के बीच करियर में बदलाव की आवश्यकता का अनुभवभारतीय समाज में परिवारिक और सांस्कृतिक दबाव बहुत गहरे होते हैं। अक्सर युवा अपने सपनों और रुचियों के बजाय…
1. संवाद की भारतीय अवधारणाभारतीय संस्कृति में संवाद का महत्वभारतीय संस्कृति में संवाद केवल शब्दों का आदान-प्रदान नहीं है, बल्कि यह आपसी समझ, सहानुभूति और विश्वास की नींव भी है।…